Saturday, September 09, 2006

कमरा नं. 20


रजनी बीए प्रारंभिक की छात्र थी और वह कॉलेज के छात्रवास के कमरा नं. 20 में रहती थी। रूम पार्टनर कुमारी अनुराधा बी. एस-सी. प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी।

रजनी का छोटा भाई गाँव में 6 वीं में पढ़ रहा था। रजनी अपने छोटे भाई से बहुत प्यार करती थी। वह भी पिताजी के साथ हास्टल में आया-जाया करता था।

अचानक रजनी के पिताजी बीमार पड़ गये । उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया । घर में कोई न होने के कारण रामू को रजनी के साथ हॉस्टल में छोड़ दिया गया ।

उस दिन रजनी और अनुराधा भोजन करने मेस में चली गई थी । रामू अकेले कमरे में रह गया था । बाजू कमरे वाली लड़कियोँ को मौका मिला और वे रामू को बहला कर अपने कमरे में ले आईं ।

दोनों लड़कियों ने रामू से पुरूषोचित व्यवहार करने को कहा । रामू नादान था, रोने लगा । रामू के कपड़े उतार दिये गये एवं बारी-बारी से दोनों लड़कियों ने बलात्संग किया । रामू के जननेंद्रीय फट गया और खून बहने लगा । लड़कियाँ मारे डरकर भाग खड़ी हुईं । रामू रोता-चिल्लाता रहा ।

रजनी को पता चला तो वह काठ हो गई । भागती आयी और देखती है कि भाई बिस्तर में खून से लथपथ पड़ा रो रहा है, रजनी को सारा बाकया समझ में आ गया । किसी तरह रामू को तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाकर इलाज करवाई । रजनी ने होस्टल वार्डन को जानकारी दी, वार्डन ने सभी लड़कियों को चेतावनी देकर छोड़ दिया । रामू भी किसी लड़की को पहचान न सका पर कमरा नं. 20 होस्टल के लिये स्थायी चर्चा का विषय बन गया ।
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