Saturday, September 09, 2006

बाल खड़े होना


क्रोध आने पर आँखें लाल एवं शरीर के बाल खड़े हो जाते हैं । इससे पता चलता है कि आज अधिकारी बहुत नाराज हैं । सभी अधिकारी एवं कर्मचारी सिर झुकाकर अपने काम में लग जाते हैं । इसी तरह बड़े अधिकारी अपने अधीनस्थों को हमेशा बंदर घुड़कियाँ देते रहते हैं और सभी कर्मचारी आपस में बैठकर मजाक करते हैं कि आज तो साहब के बाल खड़े हो गये थे ।

रमेश को समझ नहीं आ रहा था -बाल खड़े होना । उसे यह बात खटक रही थी । दूसरे दिन अधिकारी बड़े गुस्से से आये और लगे अपनी कुर्सी को पटकने । वे बीच-बीच में टेबिल को ठोंककर चिल्लाये भी जा रहे थे कि कर्मचारी कामजोर, लापरवाह और भ्रष्ट हैं । समय पर आफिस नहीं आते । दिया गया काम समय पर नहीं करते । आज मैं छोडूँगा नहीं सबको निलंबित कर दूँगा । वे बारी-बारी से कर्मचारियों को बुलाकर डांटे भी जा रहे थे।

रमेश ने बड़े गौर से देखा कि अधिकारी के बाल क्रोध की गति के साथ खड़े हो रहे थे। वे क्रोध से कांप रहे थे और बाल के साथ स्वयं खड़े हो गये थे । रमेश आज पता चल गया था कि बाल खड़े होने का मतलब क्या होता है ।
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प्रस्तुतिः सृजन-सम्मान, छत्तीसगढ़

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