Saturday, September 09, 2006

हाथी वाले भीखमंगे


अक्सर गाँव एवं शहर की सड़कों तथा गलियों में भीख माँगने वाले हाथी में चढ़े हुए दीख जाते हैं । बिहार एवं उत्तरप्रदेश से किराये की हाथी लेकर छत्तीसगढ़ में भीख मांगने का काम करते हैं ।

रमेश ने अपने पिताजी से पूछा- “पिताजी, आज तक मैंने भीखमंगे को सायकल, कार, लूना, तिपहिया, पैदल चलते हुए, मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघर, गुरुद्वारों एवं चौराहों पर बैठकर भीख माँगते हुए देखा है परन्तु हाथी पर चढ़कर भीख माँगना अच्म्भा लगा ।”
सुखदेव शर्मा ने रमेश को बताया, “बेटा ये तो हमारे देश का पुरातन धंधा है । आजकल भीखमंगो ने भी अपना एक संघ बना लिया है-“अंतराष्ट्रीय भीखमंगा / फकीर संघ”। हमारे देश के मंत्री लोग कटोरे लेकर विदेश जाते हैं । वे विकसित देशों से विकास ने नाम पर करोंड़ों रुपये के भीख मांगते हैं और पेपर में फोटो सहित छपवाते हैं कि उन्होंने देश के लिए ये किया वो किया.......

एक बार विदेश दौरे पर गया भारतीयों के एक दल ने विदेशियों से पूछा, “आपके शहर में कोई भीखमंगा नहीं दिख रहा ? हमारे देश में तो रेलवे स्टेशन, बस अड्डों, सड़कों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर भीखमंगों की टोलियाँ दिख जायेंगी ।”

विदेशियों ने बताया, “वहाँ भीखमंगे नहीं मिलते । सिर्फ आप जैसे लोग यहाँ आकर धंधे की बातें करते हैं ।”

भारतीय दल के एक सदस्य ने बड़े गर्व से कहा, “सर, भूल रहे हैं, हमारे देश में प्राचीनकाल से हाथी में चढ़कर भीख मांगते आ रहे हैं । क्या ?
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