Saturday, September 09, 2006

मोहल्ला समिति


गाँव एवं नगर के मोहल्ले में नागरिक एक विकास समिति का गठन कर लेते हैं। पाँच पड़ोसी मिलकर समिति बना लेते हैं । रामकृष्ण पाण्डे स्वयं समिति का अध्यक्ष मानकर नेतागिरी करने लगते हैं । मुह्ल्ले के दस आदमी लेकर वही किसी के घर वैठकर सड़क, सड़क, नाली, डामरीकरण के प्रस्ताव पारित करते हैं । स्थानीय पार्षद, विधायक, सांसद निधि से राशि की मांग करते हैं । विधायक, सांसद महोदय मुह्ल्ले में आकर माला पहनकर सम्मान कराते हैं । डामरीकरण एवं नाली बनाने के लिये सांसद दो लाख रुपये एवं विधायक पाचास हजार देने की घोषणा करते हैं। रामकृष्ण पांडे वे साथी जय-जय कार करते हैं। रामकृष्ण पांडे चाय नाश्ते कराकर सांसद, विधायक को विदा करते हैं। रामकृष्ण सांसद ,विधायक के आने से एवं राशि स्वीकृत कराने से मोहल्ला में धाक जम जाती है। कोई भी काम हो पांडे जी ती फटे एड़ी में टांग अड़ाते रहते हैं।

रामकृष्ण पांडे ने सोचा क्यों न समिति का पंजीयन करा लिया जावें । ओम प्रकाश पाठक ने बताया कि अध्यक्ष महोदय इस मोहल्ले में पहले से समिति (पंजीयन) हैं जिसके अध्यक्ष रमेशचन्द्र खरे हैं। समिति में तय हुआ है कि खरे को हटाया जावे । नया चुनाव कराया जावे रामकृष्ण पांडे ने बीस सदस्यों की सदस्यता राशि खरे को दी। खरे ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया कि मैं सदस्य नहीं बनाऊंगा क्योंकि आप लोग मुझे पद से हटाना चाहते हैं। कई बार रामकृष्ण व साथी ने अनुनय विनय किया । परन्तु खरे ने खरा-खरा कह दिया कि मैं आप लोगों को सदस्य नहीं बनाऊंगा । अपनी राशि ले जाओ रामकृष्ण पांडे स्वयं अध्यक्ष ने सभी मोहल्ले वासियों के सामने घोषणा किया कि निकम्मे अध्यक्ष को हटाया जाता है और आज से मैं स्वयं अध्यक्ष बन गया हूँ । जो भी समस्या और लोगों का है मैं निराकरण कराने का प्रयास करूँगा । रमेशचंद्र खरे ने कहा-सभी निर्णय कोर्ट में होगा । आप कोर्ट जाइये रामकृष्ण पांडे छोटा मुँह लिये न्यायालय की ओर चल दिये ।
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प्रस्तुतिः सृजन-सम्मान, छत्तीसगढ़


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