Saturday, September 09, 2006

सिफारिश




सुनील क्रोध में आकर कार्यक्रम में जोर-जोर से बोलने लगा । कुछ ही क्षण में वह सबका ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल हो गया । अब उसके चारों ओर लोग इकट्ठा हो चुके थे । वह संयोजक से बोलने लगा कि बड़े साहित्यकार बनते हो, मेरे पिताजी वर्षों से लिख रहे हैं, वरिष्ठ हैं, उन्हें अध्यक्ष बनाने के बजाय उपाध्यक्ष बना दिये । आप लोगों ने अच्छा नहीं किया । मैं पिताजी को पद से इस्तीफा देने के लिए कहूँगा, इस तरह और.........

बहुत देर से रामअधीर सुन रहा था । उससे रहा नहीं गया । उसने तल्खी भरे स्वर में से कहा -तुम्हारे पिताजी बहुत दिन से जरूर लिख रहे हैं परंतु एक भी कविता, कहानी आज तक किसी भी समाचारपत्र या पत्रिकाओं में छपी क्या ? सुनील का मुँह छोटा हो गया ।
रामअधीर ने कहा, “बेटा यदि सिफारिश कर अपने पिताजी को अध्यक्ष बना भी देगा तो क्या फायदा, ये तो कलयुग में ही होगा ?

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