Saturday, September 09, 2006

कलेक्टर ने भूत से कहा



कलेक्टर ने भूत से बात की, बड़ा अटपटा लगता है। कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं करता । आज के वैज्ञानिक युग में भूत-प्रेतों को अंध-विश्वास कह कर मजाक उड़ाते हैं । भारत वर्ष में कभी-कभी ऐसी घटनायें घटती रहती हैं । समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलता रहता है। सुनते हैं कि विदेशों में भी अपने मृत संबंधियों के आत्मा को आव्हान कर चर्चा करते हैं।

भिण्ड जिले के मेहगाँव तहसील में रायपुरा नामक गाँव हैं । जहाँ कप्तान सिंह गुर्जर अपने पाँच भाइयों के साथ निवास करते हैं । सबसे बड़े भाई का नाम कलेक्टरसिंह, दूसरे का नाम कप्तानसिंह, तीसरे का नाम तहसीलदारसिंह, चौथे का नाम थानेदारसिंह और सबसे छोटे का नाम हवलदार सिंह था । पिता मलखानसिंह और माता सूरजा देवी । मलखानसिंह जाने माने हुए कृषक थे । खेतों में सरसों, गेहूँ, बाजरा, चना, धनिया, मक्का, अरहर, तिली पैदा कर लेते थे । भरा-पूरा परिवार । लगभग सौ बिघा जमीन ।

मलखानसिंह तीन भाई थे सभी अलग-अलग गाँव में रहते थे । मोहरसिंह संतानहीन थे । इसलिये अपने भाई के लड़कों से ज्यादा ही लाड़-प्यार करते थे । वे बड़े ही धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे । पूजापाठ में दिन बिताते थे ।

मोहरसिंह अपने मकान के सामने खेत में मंदिर बनवाना चाहते थे । परन्तु यह खेत किसी रसालसिंह का थे और मलखानसिंह और मोहरसिंह के बीच छत्तीस का आंकड़े था । हमेशा बँटवारे को लेकर लड़ाई होती रहती थी । गाँवों में लड़ाने-भिड़ने वालों की कोई कमी थो़डे न होती है ।

किसी भी समय बरसात होने वाली थी । मोहरसिंह मकान की छत को मरम्मत करने के लिये घर के ऊपर चढ़ा हुआ था । अचानक पैर फिसल जाने के कारण छत से सिरके बल गिर पड़ा और मर गया । पूरे परिवार के सदस्यों ने मिलकर दाह संस्कार किये एवं क्रिया कर्म तेरह दिन में तेरही आस पास के संबंधियों को खिलवाये । पंडित, नाई- धोबी को दान देकर क्रिया कर्म पूर्ण किये । मोहरसिंह की आत्मा भटक रही थी उनने जो मंदिर बनाने का संकल्प किया था पूरा नहीं हुआ था । भटकती आत्मा कौसे पूरा किया जाये ष मंदिर कौसे बने, हमेशा सोचते रहते थे । कप्तान समंह को एक दिन रात्रि में बताये कि- मैं मेरे घर के सामने खेत में मंदिर बनवाना चाहता था । रसालसिंह से जमीन खरिद कर मंदिर बनवा देना, नहीं तो मैं सभी घर द्वार, खलिहान में आग लगाकर नष्ट कर दूंगा । कप्तान सिंह पसीने-पसीने हो गया । सुबह से ये बात सभी भाइयों एवं बच्चों कोबताया सभी भोंचक रह गये । रात्रिवाली बात रसालसिंह को बतायी परन्तु उसने झूठे कहकर मजाक उड़ा दी । कप्तान सिंह बहुत परेशान हुआ । दूसरे दिन रात में कप्तान सिंह को पुनः उसने तारीख दी उसने रसाल सिंह की बात उसे बता दी । अतृप्त आत्मा बहुत नाराज हो गया और चेतावनी देकर चला गया।

कुछ दिन के बार रसाल सिंह के लड़कों ने सोचा । क्यों न वहाँ पर मकान बना दिया जैये ? नींव खोदकर खपरेल वाले मकान एक माह के भीतर में बनाकर खड़ा कर दिया । मोहरसिंह के अतृप्त आत्मा ने देखा तो आग बबूला हो गया । सबसे पहले बदला लेने सोचा । खलिहान में रखे गेहूँ-भूसा की ढेरी में अपने आप आग लग गया । लगभग पच्चीस हजार का नुकसान हो गया । रसालसिंह के लड़के जगमोहन सिंह ने आगजनी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कहा दी । पटवारी ने तहसीलदार को आगजनी की रिपोर्ट भेजी । तहसीलदार श्री संतोषकुमार सांधी ने एस.सी.मिश्रा एवं कलेक्टर भिण्ड के पास उसकी जानकारी भेजी । एक सप्ताह के बाद, जो नये घर बनाये थे उसमें आधीरात को अचानक छत से आग का धुँआ निकलने एवं धू-धू कर जलने की आवाज आई । कप्तानसमंह एवं रसालसिंह परिवार मिलकर आग बुझाये जगमोहन सिंह थाने में आगजनी की अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ अफ. आई. आर. दर्ज कराये। गाँव में आग लगने की घटना से दहशत मच गया । गाँव में इस प्रकार की आग कभी नहीं लगी थी । पटवारी, कोटवार ने आग कीक्षति की जानकारी नायब तहसीलदार, तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी, कलेक्टर भिण्ट को दिये । एक किसान के घर में दो बार आग लगने की गटना को कलेक्टर श्री एम. के. दीक्षित ने गंभीरता से लिया । श्री मिश्रा अनुविभागीय अधिकारी को फोन किया कि मैं मौका-मुआवजा करने गाँव जाऊँगा ।

दूसरे दिन कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक गाँव पहुँचे । श्री मिश्रा, एस.डी. एम. थानेदार मनमोहन दल बल के साथ गाँव रायपुरा कप्तानसिंह, रसालसिंह, जगमोहनसिंह कोटवार, पटवारी, पटेल सब गाँव वालों के समक्ष खलिहान में जले गेहूँ भूसा के ढेर एवं जले मकान को देख कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने पूछताछ की । जगमोहन ने बताया कि किसी के ऊपर शक नहीं है । कप्तानसिंह ने कलेक्टर साहब को भूत की चेतावनी को बताया । कलेक्टर दीक्षित ने भूत की चतावनी को मजाक में उड़ा दिया और कहाँ कि मैं नहीं मानता । मोहरसिंह का भूत सुन रहा था । बहुत गुस्सा में कहाँ कलेक्टर साहब यहाँ पर मेरा शासन चलता है तुम्हारा भिण्ड में चलेगा । नहीं तो देख लो । रसालसिंह के दूसरे घर से आग की लपटें उठने लगी मकान धू-धू कर जलने लगा । वहाँ पर हाहाकार मचने लगा। पुलिस बल और गाँव वाले मिलकर आग बुझाने में लग गये। कप्तान सिंह ने कहा साहब भूत प्रेत में अदृश्य शक्ति होती है । कुछ भी कर सकते हैं । भूत ने जोर से ठहाका लगाया और कहा कलेक्टर साहब देख लो । यदि मेरी बात मान लेते हो सदा के लिये चला जाऊंगा । कलेक्टर साहब ने कहा भाई भूत जी माफ करना मैंने आपको समझ नहीं पाया । भूत ने कड़क आवाज में कहाँ कलेक्टर साबह जो घर रसालसिंह ने बनाये हैं वहाँ मैं हनुमान मंदिर बनावाना चाहता था परन्तु मेरी बात रसाल सिंह न नहीं मानी । कप्तान सिंह को मैं चेतावनी भी दीथी । उसने भी मेरी बात नहीं मानी । कलेक्टर पुलिस अधीक्षक एस.डी. एम. तहसीलदार सभी लोग सकते में आ गये । तहसीलदार क्षी संतोष कुमार सांघी जी ने अदृश्य आत्मा भूत के बारे में बताया । कहाँ साहब हम लोग यहाँ से चले नहीं तो कोई अनहोनी न हो जाये । जवाबदारी हम लोगों को हो जायेगी । सांधी जी कप्तानसिंह ने वैसे ही किया। भूत की आत्मा को थोड़ी शांति मिली । श्री सांधी ने रसालसिंह जगमोहन सिंह को कहाँ कि गाँव की भलाई एवं परिवार की भलाई चाहते हो तो, उस जगह पर मंदिर बनवा दो । वैसे भी तुम्हारा लाखों का नुकसान हो गया है । मैं कलेक्टर साहब से जले हुये घर भूसा का मुआवजा दिलवा दूंगा।
जले हुये मकान से कड़क आवाज आयी । कलेक्टर साहब यदि मेरी बात नहीं मानी गई तो पूरे गाँव को जला कर राख कर दूंगा । यद् आज नहीं सुनेंगे तो आपके कार में आग लगा दूंगा । वहां आतंक का वातावरण था। कलेक्टर पुलिस अधीक्षक जीवन में किसी भूत के चक्कर में फंसे थे । कलेक्टर पुलिस अधीक्षक ,एस. डी. एम. साघी जी सभी अपने ढंग से रसाल सिंह को समझाये । रसाल सिंह ने कपेतान सिंह को भूमि देने के लिए तैयार हो गये वहां पर भव्य मंदिर बनवाना । हम लोग उद्घाटन के दिन आयेंगे । रसाल सिंह ने घर से नारियल ,आगरबत्ती लाये । कलेक्टर साहब ने कहा भूत भाई रसाल सिंह मंदिर बनवाने के लए राजी हो गये हैं अब तो खुश हो जाओ । आकाश में जोर से अट्टहास हा...हा... कर हुआ । भूत ने कलेक्टर से कहा यद् यो लोग मंदिर बनवा देते हैं । तो मेरी आत्मा को शांति और संतुष्टि मिलेगी । मैं जीते जी मंदिर नहीं बनवा सका मेरी आत्मा भटक रही है । मैं भूत बनकर रहा गया हूँ । कलेक्टर साहब ने नारियल तोड़ कर अगरबत्ती जलाकर मंदिर का भूमि पूजन किया । गांव में रात के नौ बजे थे । सांधी तहसीलदार साहब ने जलपान की व्यवस्था हेतु कप्तान सिंह को कहा। गांव की सबा में कलेक्टर साहब ने विकास हेतु पचास हजार रुपये देने की घोषणा किये। जलपान ग्रहण कर मेहगांव के लिए प्रस्थान किये । सभी ग्रामीणों ने कलेक्टर साहब एवं अधिकारियों को भावभीनी बिदाई दी एवं धन्यवाद दिये ।
कप्तान सिंह, रसाल सिंह ने भव्य मंदिर का निर्माण कराया । मंदिर में प्रथम पूजा मोहर सिंह भूत ने किया उसके बाद सभी परिवार जनों ने किया । भव्य मंदिर में पूजाके बाद अदृश्य शक्ति,अदृश्य आत्मा का पता नहीं चला । गांव में सभी मंगल से रहने लगे ।

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