Saturday, September 09, 2006

मुहूर्त


पंडित विश्नाथ अपनी पत्नी रमा देवी को शूभ मुहूर्त , पंचाग ज्योतिष एवं अग शासत्र के बारे में समझ रहेथे । रमा देवी बड़े ध्यान से पंडित के बातों को सुन रही । थी, एक –एक करके सारी बातें समझा रहेथे। पंडित जी ने कहा कि कोई भी काम बिना शुभ मुहूर्त के नहीं करना चाहिए चाहे कितनी बड़ी से बड़ी विपत्ति अचानक क्यों न आ पड़े ।


एक रात जब पंडित और पंडिताईन गहरी नींद में रोये रहते हैं तभी आधी रात को चोर, पंडित के घर पिछले दरवाजे को तोड़कर घर में घुस जाता है । चोर घर का सारा सामान घर से बाहर निकालकर ले जाने के लिये बोरे में भरने लगता है, बर्तनों को भरते समय खनक –खनक की आवाज आवाज आने के कारण रमा देवी जाग जाती है और पंडित जी को जगाकर घर में चोर घुसने की बात कह चिल्लाने के लिये कहती है ताकि चोर सामान सहित पकड़ा जा सके । पंडित जी मना करते हुए पंडिताइन को घर के ए क कोने (जहाँ से रोशनी चोर न तक पहुँच सके) में लालटेन जलाने लिये कहकर पंचांग को स्वयं अंधेरे में ढूंढते हैं । पंचांग को रोशनी में अध्ययन करने पर ज्ञान हुआ कि मध्य रात्रि को होने वाले किसी भी अशूभ या अनहोनी घटना का उपचार तुरंत न कर सबह 10 बजे दिन में करना उचित होगा तभी चोरी या खोया हुआ सामान वापस आ सकता है । पंडित और पंडिताइन पुनः लालटेन को बुझाकर सो जाते हैं । चोर सभी सामान के एक-एक कर ले जाता है ।


सुबह मुहुर्त के अनुसार ठीक 10 बजे दिन में पंडित और पंडिताइन अपने घर से चिल्लाते हैं-चोर-चोर । चिल्लाने की आवाज सुनकर पूरे बस्ती के लोग डण्डा लेकर घर को चारों तरफ घेर लेते हैं ताकि चोर पकड़ा जा सके । काफी देर तक चोर के भागने का ,न ही निकलने का और न ही पंडित-पंडिताइन के चिल्लाने का पता चला । तब गाँव वाले पंडित जी के घर में घुसे, सिर्फ दोनों रोते हुए मिले । गाँव वाले पंडित जी से पूछे कि बाकया क्या है, पंडित ने रात्रि की सारी घटना बताई । परंतु चिल्लाने का शूभ मुहूर्त न होने के कारण चोर-चोर नही चिल्लाये,क्योंकि चिल्लाने का मुहूर्त दिन में 10 बजे था।
गाँव वालेसभी
पंडित-पंडिताइन के मूर्खता पर हंस रहे थे और नुकसान के लिये तरस आ रहे थे । चोर सभी मान लेकर चंपत हो गये थे।


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