Saturday, September 09, 2006

रंग–झांझर


बिलासा कला मंच बिलासपुर के भव्य सांस्कृतिक सम्मान समारोह में महामहिम राज्यपाल महोदय एवं मुख्यमंत्री के समक्ष मंच के सूत्रधार सोमनाथ यादव ने एनाउन्स किया कि लोक कला साधक, साहित्यकार एवं गीतकार श्री पी. आर. उरांव जी अपने प्रसिद्ध पलाकारों के साथ रंग –झांझर प्रस्तुर करेंगे । रंगझांझर यानी विभिन्न रसों की संगीतमय प्रस्तुति । भोजली, सुवा, करमा, ददिरया, डण्डा, नाचा-गम्मत और आधुनिक पाप डांस सब कुछ ।

कार्यक्रम शुरु हुआ । जैसे ही मंच में छैल छबीला बने श्री उरांव जी आये और माईक पर गाना शुरू किया कि सभी दर्शक झूम उठे । हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा । एक से बढकर एक बढिया कार्यक्रम प्रस्तुत किये । मंच में रंग-बिरंगी पोशाकों में मादर की थाप, घुंघरूओं की झनक से नृत्यांगना थिरक रही थीं । करमा –ददरिया समूह नृत्य मे मंच हिल रहा था । हजारों दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उत्साहवर्धन किया । मुख्य अतिथि महोदय ने बाजू वाले से पूछा, “यह कौन सा कार्यक्रम था ? कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा, मजा आ गया ।” बाजू वाले ने बताया, “सर, उरांव जी द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम रंगझांझर था। मुख्य अतिथि ने फिर से पूछ, “भई रंगझांझर का अर्थ क्या होता है ?”
बगल वाले ने बताया कि विभिन्न रंगों की बहार ।
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