Saturday, September 09, 2006

अमचूर


दीनानाथ शुक्ला नाम के हायर सेकेण्डरी स्कूल में प्राचार्य थे । पढाई-लिखाई से उन्हें कोई खास मतलब नहीं था । अंग्रेजी पढ़ाते समय शुक्ला जी अमचूर1 खाये व्यक्ति के समान चपर-चपर करते थे । देखकर सभी छात्रों को हंसी आ जाती थी । उन्हें लगता जैसे वे अमचूर खाकर आये हों । एक दिन कुछ शरारती छात्रों ने बोर्ड में ‘अमचूर’ लिख दिया । शुक्ला जी जब कक्षा में आये तो सभी छात्र ही-ही, ही-ही कर हँसने लगे । शुक्ला जी ने गुस्से में सभी छात्रों को डेस्क में खड़ाकर एक–एक छड़ी जमा दिया और भनभनाते हुए प्राचार्य-कक्ष में चले गये ।

यह स्टाफ रूम में भी प्राचार्य विरोधी शिक्षकों के लिए किसी किस्से से कम नहीं था । लगे चटकारे लेना । अब तो सारे स्कूल में अमचूर शब्द शिक्षकों और छात्रों के जुबां पर चढ़ आया । बात यहाँ तक जा पहुंची कि जिस मार्ग से शुक्ला जी आते थे वहाँ के सड़कों पर भी छात्रों ने चाक से अमचूर लिख दिया ।

प्राचार्य महोदय ने परेशान होकर अपना तबादला अमचूर नामक गाँव में ही करा लिया ।


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1 = अमचूर नाम लेने से मुंह में पानी आ जाता है । अमचूर यानी आम का खट्टे मीठा स्वाद जिसमें हल्दी, मिर्च, नमक भी ।


प्रस्तुतिः सृजन-सम्मान, छत्तीसगढ़

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