Saturday, September 09, 2006

बंटवारा


जब कभी घर आंगन का बंटवारा होता है तो दो भाइयों के दिलों का बंटवारा भी हो जाता है। धन संपत्ति माता-पिता, भूमि, पेड़-पौधों, घर-द्वार, खलिहान, आंगन के दो टुकड़े और बीच में बने चूल्हे के भी दो टुकड़े हो जाते हैं । उस दिन नये चूल्हा बनाना पड़ता है इसलिये घर में भोजन नही बन पाता दिनभर भूखे पूरे परिवार को रहना पड़ता है राम एवं श्याम को भुगतना पड़ा । मान- सम्मान का बंटवारा होने से राम को बहुत मानसिक पीड़ा हुई।
तिरपन साल पहले पाकिस्तान भारत से अलग होकर नया देश बना था। राम के पिता भीष्मशाह ने दुख बहुत सहा था । भोपाल को अपना निवास बना लिये थे। परन्तु भाई बंटवारा से मन उदास-उदास रहता । श्यामशाह ने राजनीतिक पहुँच का फायदा उठाकर रामशाह का तबादला नये छत्तीसगढ़ राज्य के बंटवारे में करा दिया। रामशाह खुशी-शुशी तबादल में छत्तीसगढ़ चला गया। रामशाह को पिता जी के बताये भारत पाकिस्तान के के बंटवारे की याद हो आयी । गाँव के जमींदार बड़े रोबदार परिवार थे। यहाँ शरणार्थी बन गये थे। सरकार के रहमों करम पर जी रहे थे। पिताजी ने बड़े परिश्रम करके का धंधा शुरू किये थे। बड़े सफल रहे। हम भाई बहनों को पढ़ाया लिखाया, शादी विवाह किया और नौकरी पर लगाया । आज फिर राज्य के बंटवारे में हम दो भाई मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में बंट गये हैं । चूल्हे के दो टुकड़े होने से बच गये । ऐसे मानसिक आघात लाखों परिवारों को झेलना पड़ रहा है।
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प्रस्तुतिः सृजन-सम्मान, छत्तीसगढ़


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