Saturday, September 09, 2006

मधुमेह की गोली


रामदीन श्रीवास्तव और राधेश्याम शर्मा जवाहर गार्डन की बेंच पर बैठे-बैठे सुबह की ठंड़ी हवा का आनंद ले रहे थे । दोनों सयाने, दोनों ही मधुमेह रोग से वर्षों से ग्रसित।

शर्माजी ने बात शुरू करते हुए कहा, “आज आप बहुत खुश नजर आ रहे हैं ।”

“अरे शर्मा जी, डॉक्टर साहब ने सलाह दी है कि रोजाना खाने से पहले डायोनील व बी.पी. की एक-एक गोली खा लिया करो । उसके बाद कुछ भी खाते रहूँ, कुछ भी असर नहीं पड़नेवाला । मैंने ठीक वैसा ही किया-रात में पीटर स्कॉच और साथ में मुर्गा पेट भर आया और सो गया । सच बता रहा हूँ भाई, मजा आ गया । इसीलिए श्रीवास्तव जी, मेरा कहना मानिए और जीने का मजा लीजिए ।”- श्रीवास्तवजी ने चहकते हुए प्रसन्नता का राज बताया ।

दूसरे दिन सुबह श्रीवास्तव गार्डन में नहीं दिखे । शर्माजी को चिंता हुई कि आखिर हुआ क्या जो नियमित गार्डन आने वाले श्रीवास्तवजी आज नहीं पहुँचे । घर से पता चला कि वे तो नर्सिंग होम में भर्ती हैं ।
शर्मा जी अब सीधे नर्सिंग होम जा पहुँचे । श्रीवास्तव जी को इंसुलिन के इंजेक्शन लग रहे थे।

शर्मा जी ने ठहाका लगाते हुए पूछा, “क्या हुआ श्रीवास्तव जी...... ? कल तो बड़े खुश होकर बता रहे थे कि खाने के पहले एक-एक गोली खा लो और फिर कुछ भी खाते रहो........।”
श्रीवास्तव ने मुँह लटकाते हुए कहा, “शर्माजी इसी लालच में कल अधिक पी ली थी और मुर्गा भी आ गया था और आज अस्पताल में भर्ती हूँ ।………….”

88888888888888


No comments: