Saturday, September 09, 2006

मच्छरदानी




राहुल प्रातः 5 बजे अपने पिताजी के साथ घुमने के लिये जवाहर उद्यान जाता था। उद्यान से घुमकर जब वापस अपने घर आ रहे थे, मार्ग में तेलीबांधा तालाब पड़ता था।




रोजाना देखते थे कि तालाब किनारे पानी में मच्छरदानऀ कैसे टांगकर रखे हैं यह देख राहुल को बड़ा अटपटा लगता था इसलिये उत्सुकतावश प्रश्न किया कि पिताजी हम लोग घर में मच्छरदानी लगाकर सोते है । परंतु पानी में मच्छरदानी लगाकर कैसे सोते हैं और कौन सोते हैं ? हाहुल के पिताजी ने मजाक में कहा कि बेटे तालाब की मछलियाँ भी रात में मच्छरदानी लगाकर सोती हैं, ये देख लो । राहुल हँसने लगा हा-हा, क्या मछलियाँ भी मच्छरदानी लगाकर सोती हैं ? राहुल ने फिर पूछा पिताजी क्यों लगाते है मच्छरदानी । पिताजी ने बताया कि बेटा मछली के बच्चे बेचने वालों ने मच्छरदानी लगाये हैं । छोटी-छोटी मछलियों से लाखों का व्यापार करते हैं । इसी मच्छरदानी में पालकर रखते हैं । मछली पालन करने वालने कृषक इसे खरीदकर गाँव के तावाब, पोखर में डाल देते हैं । मछलियों के बड़ी होने पर जाल से निकालकर लाखों रुपये का लाभ कमाते हैं । राहुल आज भी मच्छरदानी देखकर हँस पड़ता है ।



88888888888888




No comments: